ईटिंग डिसऑर्डर क्या हैं? जानें इसके कारण, लक्षण और इलाज (Eating Disorder in Hindi)

हाल ही में, ईटिंग डिसऑर्डर बहुत चर्चा में आए हैं क्योंकि ये कठिन और जीवन को खतरे में डाल सकने वाली मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हैं। इन बीमारियों में खाने के व्यवहार का एक दृढ़ और अस्वस्थ पैटर्न शामिल है, जिसका शारीरिक और मानसिक कल्याण पर बुरा असर हो सकता है। खाने की बीमारियों को समझना, खतरे के संकेतों को जानना, सही सहायता देना और अंततः लोगों को अपने स्वास्थ्य की ओर बढ़ने में मदद करना महत्वपूर्ण है।

ईटिंग डिसऑर्डर  क्या   होता  हैं?

ईटिंग डिसऑर्डर मानसिक स्वास्थ्य बीमारियों का एक समूह है जो खाने के व्यवहार, खाने की चीजों और शरीर की छवि के प्रति अविस्मरणीय और अस्वास्थ्यकर दृष्टिकोण के साथ-साथ असामान्य खाने की आदतों और दृष्टिकोणों से चरित होता है। खाने की बीमारियाँ विभिन्न रूपों में हो सकती हैं, लेकिन निम्नलिखित सबसे आम हैं:

कितनी तरह का होता है ईटिंग डिसऑर्डर (Eating Disorder) ?

1. एनोरेक्सिया नर्वोसा (Anorexia Nervosa):

एनोरेक्सिया नर्वोसा, जिसे आमतौर पर सिर्फ “एनोरेक्सिया” के रूप में जाना जाता है, एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या है जिसमें एक व्यक्ति खाने के साथ अपने शारीरिक रूप और ओजन के प्रति एक अलग और अस्वस्थ दृष्टिकोण विकसित करता है। यह बीमारी आमतौर पर खाने से जुड़े मानसिक कारक से होती है और इसके लक्षण विशेष रूप से व्यक्ति के खाने के व्यवहार में दिखाई देते हैं।

एनोरेक्सिया के मुख्य लक्षण हैं:

  • खाने का विरोध: खाने का गहरा डर एनोरेक्सिया के प्रतिष्ठित लक्षणों में से एक है। वह खाने से बचने की कोशिश करते हैं और अपने आप को मोटा दिखाने से बचने के लिए खाते रहते हैं।
  • भूखमरी की दशा: व्यक्ति खाने में आवर्जन करता है और अक्सर बहुत कम खाता है। वे अपनी भूख को नियंत्रित करने के लिए कई अनिवार्य उपयोग करते हैं, जैसे तेजी से चलना, कौशल का अभ्यास करना या तेजी से चलना।
  • ओजन की कमी: एनोरेक्सिया से पीड़ित व्यक्ति की ओजन सुनामी तरीके से कम होती है, जिससे उनका शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
  • खाना खाते समय आत्म-विवेचना: एनोरेक्सिया से पीड़ित व्यक्ति अक्सर खाना खाने के बाद अधिक आत्म-आलोचना करते हैं और अपने खाने के व्यवहार को सुधारने की इच्छा रखते हैं।

एनोरेक्सिया के अन्य संबंधित लक्षण:

  • थकान और कमजोरी
  • बालों और नाखूनों में कमजोरी
  • चिंता या डिप्रेशन की अधिकता
  • मानसिक तंतुओं का विकास

2. बलीमिया नर्वोसा (Bulimia Nervosa):

बलीमिया नर्वोसा, जिसे आमतौर पर सिर्फ “बलीमिया” के रूप में जाना जाता है, एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या है जिसमें व्यक्ति अधिक मात्रा में खाने के बाद खुद को कम करने के लिए जबरदस्त प्रयास करता है, जैसे कि उल्टी करना, अत्यधिक व्यायाम करना या विशेष तरीके से खाने के बाद बहुत कम खाना खाना। खाने के साथ जुड़े मानसिक कारक आमतौर पर इस बीमारी को जन्म देते हैं और इसके लक्षण विशेष रूप से खाने के व्यवहार में दिखाई देते हैं।

बलीमिया की प्रमुख लक्षण:

  • बिंग-इटिंग (बहुत खाना खाना): बलीमिया का एक प्रतिष्ठित लक्षण बार-बार अधिक खाना खाना है, बिना अपनी भूख को पूरा करने के बारे में सोचे। इसमें एक व्यक्ति के बिना खाने पर नियंत्रण की भावना होती है।
  • पुर्गिंग संकेत हैं: बलीमिया से पीड़ित लोग बिंग-इटिंग के बाद अक्सर कई प्रकार के पुर्गिंग लक्षणों का अनुभव करते हैं, जैसे कि उल्टी करना, दवा लेना, या भूखमरी के कारण अधिक कैलोरी खर्च करना।
  • आत्मविश्वास का संकट: बलीमिया से पीड़ित व्यक्ति का आत्म-मूल्य अक्सर उनके शारीरिक रूप, वजन और खुद को अकेला महसूस करने से जुड़ा होता है।
  • गुप्त खाना: बलीमिया से पीड़ित लोग अक्सर गुप्त रूप से खाते हैं और कैसे खाते हैं, ताकि दूसरों को पता न चले।

बुलिमिया नर्वोसा के अन्य संबंधित लक्षण:

  • शरीर के वजन के प्रति सचेत होना 
  • रक्तचाप कम होना 
  • अत्यधिक भोजन एक साथ करना 
  • इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन

3. बिंज-इटिंग डिसऑर्डर (Binge-eating disorder)

एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है जिसमें व्यक्ति छोटे-छोटे समय के लिए अत्यधिक मात्रा में खाने का अभ्यास करता है और इसे एक अनिवार्य अनुभव के रूप में देखता है, जिसके परिणामस्वरूप वह अपने खाने के व्यवहार पर नियंत्रण रखना चाहता है। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अक्सर इस बीमारी से प्रभावित होता है और खाने के व्यवहार में दिखाई देता है

बिंज-इटिंग डिसऑर्डर के मुख्य लक्षण हैं:

बिंज-इटिंग, या बहुत अधिक खाना खाना: जब कोई व्यक्ति आधिकारिक भूख की आवश्यकता के बिना बार-बार अधिक खाता है, तो यह बिंज-इटिंग डिसऑर्डर का एक महत्वपूर्ण लक्षण है। यह व्यक्ति लगभग दो घंटे तक लगातार खाता रहता है और खाने पर नियंत्रण नहीं पाता है।

  • खाने के बाद दर्द और क्रोध: बिंज-इटिंग के बाद व्यक्ति अक्सर दुखी हो जाता है और अपने खाने के व्यवहार पर गुस्सा निकालता है।
  • खाने में असमर्थता: वह बार-बार खाता है और नियंत्रण खो देता है।

बिंज-इटिंग डिसऑर्डर के अन्य संबंधित लक्षण:

  • वजन बढ़ने का सामान्य अवधि के दौरान वितरित होता है, जो बिंज-इटिंग के परिणामस्वरूप हो सकता है।
  • सोशल इसोलेशन और स्थायितापन में बाधा
  • चिंता, तनाव और डिप्रेशन का अधिक होना आम है।

4. एवॉइडेंट/रिस्ट्रिक्टिव फ़ूड इंटेक्स कार्डर (ARFID):

Avoidant/Restrictive Food Intake Disorder (ARFID)

एक प्रकार की मानसिक स्वास्थ्य समस्या है जिसमें व्यक्ति के खाने के व्यवहार में रोकथाम या प्रतिस्थिति होती है, जिसके परिणामस्वरूप वे पूर्ण आहार और आदेशिक खाना नहीं खा सकते। ARFID का पहला लक्षण यह है कि व्यक्ति बहुत से खाद्य पदार्थों को खाने से इनकार करता है, जिससे उनका सामान्य आहार कम समृद्ध हो सकता है।

ARFID के मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं:

निषेधात्मक खाद्य प्रवेश और सीमा: ARFID के एक महत्वपूर्ण लक्षणों में से एक है कि व्यक्ति खाद्य पदार्थों की एक सीमा में रहता है, जैसे कि केवल कुछ खाद्य पदार्थों को खाने के लिए स्वीकार करता है।

भोजन के प्रति संवेदनशीलता या असामान्य भूखमरी की जरूरत: ARFID वाले लोगों की खाने के पदार्थों की संवेदना और चयन असाधारण रूप से बढ़ी होती है, इसलिए वे अक्सर अत्यधिक या अत्यधिक कम खाते हैं।

भौतिक बाधा: ARFID वाले लोगों का शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है, जैसे विटामिन और मिनरल की कमी, वजन कमी और पूरी आहार संरचना की कमी।

मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: ARFID वाले लोगों का भौतिक और मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है, और उन्हें तंतुओं की जरूरत हो सकती है, जैसे डिप्रेशन या अंदरूनी चिंता।

ईटिंग डिसऑर्डर का कारण (Causes of eating disorders)

ईटिंग डिसऑर्डर्स (Eating Disorders) के कारण विशिष्ट और जटिल हो सकते हैं, और इनका विकसन आने वाले कई कारकों के संयोजन का परिणाम होता है। निम्नलिखित कुछ मुख्य कारण हैं:

मानसिक दबाव और स्ट्रेस: चिंता, तनाव, और मानसिक दबाव ईटिंग डिसऑर्डर्स के विकसन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अक्सर, खाने का व्यवहार यहाँ तक कि अनोरेक्सिया नर्वोसा और बलीमिया नर्वोसा को संबोधित करने के रूप में मानसिक तंतुओं के साथ जुड़ा होता है, जैसे कि अत्यधिक आत्म-आलोचना और खुद को मोटा दिखने की चिंता।

शरीर की छवि और समाजिक दबाव: ईटिंग डिसऑर्डर्स का विकास समाज में रहने के दौरान भौतिक रूप और आकार को मानने का बड़ा दबाव हो सकता है। यह मानव अधिकता किसी भी आयु समूह में हो सकता है, लेकिन यह अधिकतर युवा और तरुणों में देखा जाता है।

परिवार और सांप्रदायिक स्थानांतरण: ईटिंग डिसऑर्डर्स, जैसे कि किसी व्यक्ति पर भौतिक रूप बदलने का दबाव, पारिवारिक और सांप्रदायिक प्रतिस्थापन से उत्पन्न हो सकते हैं।

जीवन की बड़ी परिस्थितियाँ: बड़ी जीवन की परिस्थितियाँ, जैसे कि समय-समय पर हुए आपत्तियाँ, गम्भीर रोग, या अन्य स्थितियाँ जिनमें खाने में प्रतिबंध या संकट हो सकता है, ईटिंग डिसऑर्डर्स का कारण बन सकती हैं।

जीवनशैली और संचार: मीडिया और विज्ञापन, जो भौतिक आकार को बड़े या छोटे दिखाते हैं, कुछ लोगों के खाने के व्यवहार पर प्रभाव डाल सकते हैं।

आयुक्तिक परेशानियाँ: यदि कोई व्यक्ति आयुर्वेदिक, व्राक्षिपथ, या बौलीमिया नर्वोसा से पीड़ित है तो उनका खाने का व्यवहार प्रभावित हो सकता है।

ईटिंग डिसऑर्डर के अन्य कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:

जैविक कारण: कुछ अध्ययनों से पता चला है कि बायोलॉजिकल कारक भी ईटिंग डिसऑर्डर का जन्म दे सकते हैं। उदाहरण के लिए, ईटिंग डिसऑर्डर्स उत्तेजना और भौतिक आकार की गुड़िया के विशिष्ट कारक जैसे हार्मोनल बदलाव और गुटका स्थितियाँ का कारण बन सकते हैं।

जीवन में होने वाली घटनाएँ: लड़ाई-झगड़ा, परिवार में विचार-विमर्श, और यातायात में किसी तरह की अड़चनें, व्यक्तिगत या परिवार में हुई घटनाओं के विकसन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

व्यक्तिगत गुण: ईटिंग डिसऑर्डर विकसित होने पर कुछ लोगों की प्राकृतिक प्रवृत्तियाँ और व्यक्तिगतता भी प्रभावी हो सकती हैं। जैसे, व्यक्तिगतता में व्यस्त होना, अवसाद या अन्य लक्षण होना

सांविदानिक शिक्षा और परामर्श: ईटिंग डिसऑर्डर के विकसन को बढ़ा सकता है अगर किसी को भौतिक आकार या वजन और खाने के बारे में जानकारी नहीं है।

व्यक्तिगत गुण: ईटिंग डिसऑर्डर विकसित होने पर कुछ लोगों की प्राकृतिक प्रवृत्तियाँ और व्यक्तिगतता भी प्रभावी हो सकती हैं। जैसे, व्यक्तिगतता में व्यस्त होना, अवसाद या अन्य लक्षण होना

सांविदानिक शिक्षा और परामर्श: ईटिंग डिसऑर्डर के विकसन को बढ़ा सकता है अगर किसी को भौतिक आकार या वजन और खाने के बारे में जानकारी नहीं है।

सामाजिक दबाव: ईटिंग डिसऑर्डर विकसित होने का कारण भी पीयर और सामाजिक प्रेशर हो सकता है, जो लोगों को भौतिक मान्यता प्राप्त करने और आपस में मुकाबला करने के लिए डाल सकते हैं।

ईटिंग डिसऑर्डर को मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ इलाज करना चाहिए। ईटिंग डिसऑर्डर के इलाज का लक्ष्य व्यक्ति को स्वस्थ खाने और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने के तरीके सिखाना है। ईटिंग डिसऑर्डर के इलाज के कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:

मानसिक स्वास्थ्य की जांच: इलाज की शुरुआत में, व्यक्ति की मानसिक स्थिति की प्रारंभिक जांच की जाती है। यह चिकित्सकों को व्यक्ति की स्थिति को समझने और उचित इलाज की योजना बनाने में मदद करता है।

समेकित उपचार: ईटिंग डिसऑर्डर के इलाज में आमतौर पर एक इंटीग्रेटेड विधि का उपयोग किया जाता है, जिसमें न्यूट्रीशनिस्ट्स, डॉक्टर्स, दांत चिकित्सकों और मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों का साथ होता है।

मानसिक स्वास्थ्य उपचार: मानसिक स्वास्थ्य थैरेपी (MHT) और तर्कशक्ति और व्यवहार की चिकित्सा (CBT) मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा दी जा सकती हैं। खाने से जुड़े मानसिक प्रभावों को समझना और सुधारना इसका लक्ष्य है।

निर्माण सलाह और प्रबंधन: न्यूट्रीशनिस्टों के साथ मिलकर सही आहार कार्यक्रम बनाया जा सकता है जो सभी आवश्यक पोषक तत्वों को शामिल करता है।

समर्थन देने वाले समूह और परिवार का सहयोग: परिवार और समर्थन समूहों को इलाज में शामिल करना आम है। इससे व्यक्ति को समर्थन मिलने और अपनी समस्याओं को साझा करने का मौका मिलता है।

दांत चिकित्सा और सुरक्षा: दांत चिकित्सक की सलाह और देखभाल भी आवश्यक हो सकती है अगर व्यक्ति के दांतों को कोई चोट लगी है।

दवा का प्रयोग: डॉक्टर कुछ मामलों में अपेटाइजर्स या कमजोर करने वाली दवाओं का उपयोग कर सकते हैं; हालांकि, यह पूरी तरह से इस समस्या का समाधान नहीं होता है और यह केवल बहुत गंभीर मामलों में किया जाता है।

https://findahelpline.com/in/topics/eating-body-image

https://en.wikipedia.org/wiki/Anorexia_nervosa

https://en.wikipedia.org/wiki/Eating_disorder

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